सोमवार, 26 नवंबर 2012

रावण की अयोध्या

रावण की अयोध्या 


आज राम की नहीं रावणों की अयोध्या हो रही है 
क्योंकि रावणों की ही मनमरजी से ही अयोध्या चल रही है 
जो जितना दुष्ट ,भ्रष्ट,पापी ,धोखेबाज है 
उतना ही बड़ा राजा ,नेता और धर्मराज है
मर्यादा पुर्षोत्तम राम तो अब नादान है 
उसकी मर्यादा,ईमान,का नहीं कोई कद्रदान है
आज ऐसे इंसान बेवकूफ कहलाते हैं
उनकी इमानदारी और उसूलों का सब मजाक उडाते हैं 
माता पिता की आज्ञा नहीं मानने में अपनी शान समझते हैं 
उनको वृदा आश्रम भेजने से भी नहीं हिचकते हैं 
पैसा भगवान् हो रहा है ,हर कोई उसका गुलाम हो रहा है 
रिश्तों की यहाँ कोई बहुत कीमत नहीं रह गई
अहम् ,जलन ,धोखेबाजी जैसी बुराइयाँ अजीज हो गई 
भाई भाई के चरण छूने की जगह गला काट रहे हैं 
माँ,बहन  बेटी को सरेआम बेइज्जत कर रहे हैं
रावण खुल कर अयोध्या को लूट कर बर्बाद कर रहे हैं
राम निसहाय दुखी मन से इस बर्बादी का तमाशा देख रहे हैं
काश इस कलयुग  में कोई ऐसे  राम आयें
जो आज के इन रावणों का नाश कर जाए
गर्त  में जा रहे इस देश को बरबाद होने से बचाये
और फिर से इस देश में रामराज्य आ जाये



 

7 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बहुत सुन्दर आद्रेय -
आभार -

मर्जी रावन की चले, खले देश संसार |
नारि-हरण हो राम जी, सुनिए गहन पुकार |
सुनिए गहन पुकार, दुष्ट पापी हैं छाये |
नर वानर हलकान, अयोध्या कौन बचाए |
देते रिश्ते चीर, चीर हरते खुद दर्जी |
आया राक्षस राज, चले इनकी ही मर्जी ||

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत प्रभावी घटना..

Unknown ने कहा…

समसामयिक परिस्थितियों पे वार करती बहुत उम्दा रचना |

आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट कि चर्चा बुधवार (28-11-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति्!

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत दिनों बाद आपकी लेखनी पढ़ी .....आशा है अब निरंतरता बनी रहेगी ....समसामयिक एवं प्रभावी प्रस्तुति .........अच्छा लिखा है ....!!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

यहाँ तो रावण और दुःशासन सब इकट्ठे हो गये हैं !

shalini rastogi ने कहा…

बहुत खूब प्रेरणा जी ,आज की विसंगतियों को दर्शाई एक उत्तम रचना!