रविवार, 30 दिसंबर 2012

अगले जनम किसी को बिटिया ना कीजो

अगले जनम किसी को बिटिया ना कीजो 


जब छोटी सी कली आंगन में  मुस्कुराती है 
सारे घर में बहार सी छा जाती है
मम्मी पापा की बहुत दुलारी
भाइयों की जान से प्यारी
जब घर में ठुमक-ठुमक कर चलती है
उसके पावं की पायल रुनझुन बजती है
सारे घर में रोनक सी छा जाती है
जब वो नन्ही परी खिलखिलाती है
जरा सी चोट लगने पर माँ के आँचल में सिमट जाती है
और अपने दर्द को रो रो कर आंसू द्वारा माँ को दिखाती है
माँ का दिल कलप -कलप जाता है
पिता का प्यार आँखों से छलक जाता है
वो मासूम सी कोमल कली जब बड़ी हो  जाती है
कुछ दरिंदों के लिए सिर्फ शरीर बन जाती है
बिना किसी गलती के अपनी छणिक वासनापूर्ति के लिए
उसकी आत्मा और शरीर को कुचलकर ठहाका लगाते हैं
और अपनी दरिंदगी का सबूत मिटाने के लिए
उस बेबस और  मजबूर लड़की की  ह्त्या करने से भी नहीं हिचकाते हैं
वो मासूम बिटिया दर्द से तड़फ तड़फ कर माँ के आँचल को पुकारती है
पर उन दरिंदों के ठहाकों में उसकी दर्द भरी चीखें गुम हो जाती हैं
क्या कुसूर था  मेरा ये उसकी खुली हुई बेजान आंखें पूछ रही हैं
देश के नेता ,पुलिश,जनता खड़ी बड़ी -बड़ी बातें कर तमाशा देख रही है
इन्साफ तो नहीं , उसका सबसे छुपा कर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है
 देश का  नेता ऐसे समय में भी अपना पैंतरा खेलने से बाज नहीं आता है
इस देश में गर्भ में कन्या भ्रूण ह्त्या करना ही अच्छा होगा 
क्योंकि ऐसे समाज में बेटियों को पालना नामुमकिन होगा
क्या इन वहशी दरिंदों के लिए बेटियों को पालकर बड़ा करें 
इससे तो अच्छा है की उनको गर्भ में ही मारकर उनका भला करें   
भगवान् मेरी बस एक अर्ज सुन लीजो 
अगले जनम में किसी को बिटिया ना कीजो 








3 टिप्‍पणियां:

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सार्थक चिंतन।
समाज की सोच को बदलने के साथ सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

चिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,
जाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,

recent post : नववर्ष की बधाई

Unknown ने कहा…

सार्थक और सोचने के लिए प्रेरित करती रचना। बधाई।