बुधवार, 28 सितंबर 2011
सोमवार, 19 सितंबर 2011
भूकंप
भूकंप
कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं
यहाँ इंसान की जिंदगी की कीमत कुछ नहीं |
आम इंसान बम विस्फोट से,दुर्घटना से, नहीं तो भूकंप के झटकों से मर जाता है 
चार दिन हल्ला मचता है .और फिर सब शांत हो जाता है |
ना कोई बाद में उसके बारे में सोचता है,ना रोकने का उपाय करता है
जिसके घर का कोई प्रभावित होता है वो ही परिवार रोता रह जाता है |
परन्तु ऐसी दुर्घटनाएं रोकने के लिए कोई उपाय नहीं करतें है |
आम आदमी मरे तो मरे, कुछ रुपये देने की घोषणा कर देते हैं
और अपने कर्त्तव्य से इतिश्री कर लेते हैं |
अगर जापान जैसी तीव्रता लिए कोई भूकंप आ गया
तो हमारा देश की आधे से ज्यादा छेत्रों को प्रभाबित कर जाएगा |
और पता नहीं कितनी जनसंख्या और सम्पति को नष्ट कर जाएगा
जान माल की हानि के साथ राष्ट्रीय सम्पति का भी नाश होगा |
परन्तु इसके बारे मैं कोई नहीं सोच रहा ,ना ही भूकंप निरोधी इमारतें बना रहा
सडकों के हाल ,ट्रेफिक का हाल ,रेलों के हाल बद से बदतर हो रहा |
इसी कारण दुर्घटनाओं से कितने ही जान माल का नुक्सान हो रहा
आम आदमी इन सब त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा या मर रहा|
इनके सुधार पर हर साल करोडो रुपया सरकार दे रही
.परन्तु ये आधे से ज्यादा सुधार की जगह लोगों की जेबें भर रही |
भ्रष्टाचार ने इस देश का सत्यानाश कर दिया
वोट की राजनीति ने नेताओं कोअपनी अपनी पार्टियों तक सीमित कर दिया |
इस देश की है बस यही है विडम्बना ,की यहाँ है "प्रजातंत्र"
इसलिए अब नहीं इस देश में बचा है कोई "तंत्र"|
देश की नहीं हर नेता को बस अपनी कुर्सी की पड़ी है
जनता बेवकूफ बनी देश का नाश इन नेताओं द्वारा होते देखती खड़ी है |
एक हो गयें हैं चोर -सिपाही, देश की हो रही तबाही |
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए
देश में भीतर तक फैली इसकी जड़ों को पूरी तरह हिला जाए |
मिट जाए इसका नामो -निशान,देश हमारा बन जाए महान |
फिर तो चारों तरफ होगा खुशियों का साम्राज्य
लोट आयेगा रामराज्य |
सडकों के हाल ,ट्रेफिक का हाल ,रेलों के हाल बद से बदतर हो रहा |
इसी कारण दुर्घटनाओं से कितने ही जान माल का नुक्सान हो रहा
आम आदमी इन सब त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा या मर रहा|
इनके सुधार पर हर साल करोडो रुपया सरकार दे रही
.परन्तु ये आधे से ज्यादा सुधार की जगह लोगों की जेबें भर रही |
भ्रष्टाचार ने इस देश का सत्यानाश कर दिया
इस देश की है बस यही है विडम्बना ,की यहाँ है "प्रजातंत्र"
इसलिए अब नहीं इस देश में बचा है कोई "तंत्र"|
देश की नहीं हर नेता को बस अपनी कुर्सी की पड़ी है
जनता बेवकूफ बनी देश का नाश इन नेताओं द्वारा होते देखती खड़ी है |
एक हो गयें हैं चोर -सिपाही, देश की हो रही तबाही |
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए
देश में भीतर तक फैली इसकी जड़ों को पूरी तरह हिला जाए |
मिट जाए इसका नामो -निशान,देश हमारा बन जाए महान |
फिर तो चारों तरफ होगा खुशियों का साम्राज्य
लोट आयेगा रामराज्य |
मंगलवार, 13 सितंबर 2011
अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए
आज हिंदी दिवस के शुभअवसर पर हमारे ब्लोगर साथियों को बहुत शुभकामनाएं
अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए
आज हमारे देश में हर तरफ अंग्रेजी का बोलबाला है /हर शिक्षित इंसान अंग्रेजी में बात करता हुआ ही नजर आता है /बल्कि ये कहा जाए की अंग्रेजी में बोलना स्वाभिमान या (स्टेटस सिम्बल) हो गया है तो अतिशोक्ति नहीं होगी /अगर आपको अंग्रेजी में बात करना नहीं आता तो आपको हिकारत की नजरों से देखा जाता है /तुच्छ समझा जाता है भले आप कितने ही पढ़े लिखे क्यों नहीं हो /कितने ही ज्ञानी क्यों नहीं हो /अंग्रेजी बोलना नहीं आया तो आपका सब ज्ञान बेकार हो जाता है /हिन्दुस्तान में रहकर आराम और बढे शान से इन्सान बोलता है की मुझे हिंदी बोलना नहीं आता या मुझे हिंदी बोलने में दिक्कत होती है /सोचिये कितने शर्म की बात है की हम अपनी मात् भाषा को बोलने में और पढने में शर्माते हैं और अंग्रेजी बोलनें में गर्व महसूस करते हैं /आज कल स्कूलों में हिंदी की गिनती नहीं सिखाई जाती बच्चों को अगर हिंदी में संख्या बोल दो तो बच्चे पूछने लगतें हैं छत्तीस याने क्या तब उनको बोलो बेटा छत्तीस माने थर्टी -सिक्स /ये हाल है हमारे देश का /
जबकि विदेशों में ऐसा नहीं होता वहां के लोग अपनी देश की भाषा बोलनें में गर्व महसूस करतें हैं /मैंने तो कई देशों के प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को देखा है की वो अपनी भाषा में ही बात करना या भाषण देना पसंद करते हैं /चाहे उन्हें दोभाषिया की भी सहायता क्यों ना लेना पढ़े / उन्हें तो अपनी भाषा में बोलने में कोई शर्म नहीं आती /
हम लोग अंग्रेजों की गुलामी से तो मुक्त हो गए परन्तु अंग्रेजी के गुलाम हो गए /मैं ये नहीं कह रही की दूसरी भाषा में बोलना या सीखना बुरी बात है परन्तु दूसरी भाषा के सामने अपनी राष्ट्र भाषा को तुच्छ समझना उसको बोलने में शर्म महसूस करना या कोई बोल रहा है उसको हिकारत की नजर से देखना ये तो अच्छी बात नहीं हैं /आज अगर आपको ऊँची सोसाइटी में आना जाना है तो अंग्रेजी बोलना जरुर आना चाहिए नहीं तो आप उनकी नजरों में गंवार नजर आयेंगे वो आपको निम्न समझेंगे /हमारे दक्षिण प्रदेशों के तो और भी बुरे हाल हैं वहां अंग्रेजी के कुछ शब्द तो फिर भी लोग समझ लेते हैं परन्तु हिंदी का कोई भी शब्द नहीं समझते/बल्कि हिंदी
बोलने वालों के साथ उनका ब्यवहार ही अलग होता है / अपने प्रदेशों की भाषा बोलना तो ठीक है परन्तु अपनी राष्ट्र भाषा का ज्ञान भी हर
हिन्दुस्तानी को होना जरुरी है /
आज हिंदी दिवस पर हम सबको हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार को बढ़ाने के लिए उपयुक्त कदम उठाना चाहिए /और अपने जाननेवालों को हिंदी में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए /बच्चों को भी हिंदी भाषा का ज्ञान देना बहुत जरुरी है /सारे देश के स्कूलों में हिंदी विषय का ज्ञान जरुर देना चाहिए /
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है और उसका हमें दिल से सम्मान करना चाहिए /उसको बोलनें में शर्म नहीं गर्व महसूस करना चाहिए /
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
हिंदी हैं हम वतन हैं
हिन्दुस्तां हमारा
बुधवार, 7 सितंबर 2011
भारत माँ रो रही
भारत माँ रो रही
भारत माँ रो रही अपने ही लालों की कारस्तानियाँ देखकर
जिसके कपूत खुश हो रहे अपने ही देश को लूटकर
जहाँ देखो घोटाले हो रहे ,भ्रस्टाचारी सीना तान कर जी रहे
देश का पैसा विदेशी बैंकों में काले धन के रूप में जमा कर रहे
देश के पालनहार ह़ी देश की कर रहे बर्बादी
भारत माँ शर्मशार हो रही देखकर इनकी कारगुजारी
निर्दोष लोगों की जान से खेल जातें हैं
नेता घायलों को देखने अस्पताल जातें हैं
जनता ,और विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ गुस्सा दिखातीं हैं
मीडिया भी तीन चार दिन टी.वी .पर दिखा कर खूब हो हल्ला मचाती है
फिर सब शांत हो जाता है,इंसान अपने काम में ब्यस्त हो जाता है
रोते रह जातें हैं वो लोग जिनके परिवार का कोई मरा है,या अस्पताल में पडा हैं
आतंकवादी सीना ठोककर कतले- आम करने की जिम्मेदारी लेतें है
हमारी सुरक्षाकर्मी और सरकार फिर भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाते हैं
आम जनता मर रही, परेशान हो रही बाकी इनकी तो मोज हो रही
आम लोगों को एकजूट होकर अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठानी होगी
नहीं तो अनाथ बच्चों और बिखरे परिवारों की संख्या बढती रहेगी
यहाँ हर समय खोफ के साए में हम मरते हुए जीते रहेंगे
और हर धमाके के साथ अपनों को खोते रहेंगे
उसके कपूतों की करनी देश की जनता अपनी कुर्बानी से चुका रही
भारत माँ देश की दुर्दशा को देख खून के आंसू बहा रही
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