भारत माँ रो रही
भारत माँ रो रही अपने ही लालों की कारस्तानियाँ देखकर
जिसके कपूत खुश हो रहे अपने ही देश को लूटकर
जहाँ देखो घोटाले हो रहे ,भ्रस्टाचारी सीना तान कर जी रहे
देश का पैसा विदेशी बैंकों में काले धन के रूप में जमा कर रहे
देश के पालनहार ह़ी देश की कर रहे बर्बादी
भारत माँ शर्मशार हो रही देखकर इनकी कारगुजारी
निर्दोष लोगों की जान से खेल जातें हैं
नेता घायलों को देखने अस्पताल जातें हैं
जनता ,और विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ गुस्सा दिखातीं हैं
मीडिया भी तीन चार दिन टी.वी .पर दिखा कर खूब हो हल्ला मचाती है
फिर सब शांत हो जाता है,इंसान अपने काम में ब्यस्त हो जाता है
रोते रह जातें हैं वो लोग जिनके परिवार का कोई मरा है,या अस्पताल में पडा हैं
आतंकवादी सीना ठोककर कतले- आम करने की जिम्मेदारी लेतें है
हमारी सुरक्षाकर्मी और सरकार फिर भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाते हैं
आम जनता मर रही, परेशान हो रही बाकी इनकी तो मोज हो रही
आम लोगों को एकजूट होकर अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठानी होगी
नहीं तो अनाथ बच्चों और बिखरे परिवारों की संख्या बढती रहेगी
यहाँ हर समय खोफ के साए में हम मरते हुए जीते रहेंगे
और हर धमाके के साथ अपनों को खोते रहेंगे
उसके कपूतों की करनी देश की जनता अपनी कुर्बानी से चुका रही
भारत माँ देश की दुर्दशा को देख खून के आंसू बहा रही
22 टिप्पणियां:
बहुत शर्मनाक कृत्य!
अत्यंत दुखद एवं शर्मनाक !
आज हर भारतीय का दिल यही सवाल पूछ रहा है जो आपने अपनी कविता में उठाये हैं... आतंकवाद का खात्मा जाने कब होगा...इसकी जितनी निंदा की जाये कम है.
प्रेरणाजी,
आज के हालात का आपने सही चितार दीया है.
लेकीन इस हालात के लिये थोडे-बहुत हम सब जीम्मेदार है. देश की जिम्मेदारी हमने ऐसे लोगो को दे दी है जो अपनी जेबे भरने के अलावा कुछ नही कर रहे. अगर अब भी हम नही जागे तो हालात बद से बदतर होते चलेगे.
जात - पांत न देखता, न ही रिश्तेदारी,
लिंक नए नित खोजता, लगी यही बीमारी |
लगी यही बीमारी, चर्चा - मंच सजाता,
सात-आठ टिप्पणी, आज भी नहिहै पाता |
पर अच्छे कुछ ब्लॉग, तरसते एक नजर को,
चलिए इन पर रोज, देखिये स्वयं असर को ||
आइये शुक्रवार को भी --
http://charchamanch.blogspot.com/
दुर्दशा तो है ।
दुःख भी है ।
लेकिन समझ नहीं आता --क्या करें ।
बहुत दर्दनाक हादसा.देश के हालात चिंताजनक हैं.
अफ़सोसनाक स्थिति. जब आतंकवाद इतना बड़ा व्यवसाय बन गया हो तो क्या किया जाए. इसके पीछे बैठ कर व्यवसाय करने वाले कौन हैं, यह भी देखने की ज़रूरत है.
सरकार को शायर की जरुरत-Apply On-Line
कायर की चेतावनी, बढ़िया मिली मिसाल,
कड़ी सजा दूंगा उन्हें, करे जमीं जो लाल |
करे जमीं जो लाल, मिटायेंगे हम जड़ से,
संघी पर फिर दोष, लगा देते हैं तड़ से |
रटे - रटाये शेर, रखो इक काबिल शायर,
कम से कम हर बार, नया तो बक कुछ कायर ||
आदरणीय मदन शर्मा जी के कमेंट का हिस्सा साभार उद्धृत करना चाहूंगा -
अब बयानबाजी शुरू होगी-
प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...
दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है
चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..
राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...
आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ?????
desh me ho rahi khuni kartut pe ye rachna bahut suitabale hai...
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बहुत सुंद्र
अपने ही हाथ अपना वतन बांट रहे हैं,
जिस डाल पर बैठे हैं, उसे काट रहे हैं।
प्रेरणा जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
एक नेता जी - श्री श्री सुबोध कान्त सहाय ने कहा की - दिल्ली वाले इसके( आतंकवाद के ) आदी हो गए है ! शायद पुरे देश को भूल गए ! लगता है - पूरा देश भी आदी होते जा रहा है ! सुन्दर लिखते रहिये ! इसे ही ज्योति कहते है ! बहुत - बहुत बधाई !
सचमुच शर्मनाक है यह सब।
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कब तक ढ़ोना है मम्मी, यह बस्ते का भार?
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुनलो नई कहानी।
यहाँ हर समय खोफ के साए में हम मरते हुए जीते रहेंगे
और हर धमाके के साथ अपनों को खोते रहेंगे
उसके कपूतों की करनी देश की जनता अपनी कुर्बानी से चुका रही
भारत माँ देश की दुर्दशा को देख खून के आंसू बहा रही .
bahut hi mrmik, bhavpoorna prastuti ke lie aapka abhar.
Prerna jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
दर्दनाक हादसा....दुखद एवं शर्मनाक !
सुंदर रचना के लिए अभिनन्दन ...
बेहद दर्दनाक ...एवं दुखद कृत्य।
ek dam sahi kaha aapne
आपने जमाने की हक़ीकत बयान की है..लोगों की आँखे खोलने के लिए धन्यवाद!
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