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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011
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मंगलवार, 29 नवंबर 2011
अनोखी बेटी
अनोखी बेटी
दिशा वर्मा |
आज मैं आप सबको एक ऐसी बेटी के त्याग और अपने माता पिता के लिए कुछ भी करने का जज्बा रखने वाली बहुत बहादुर और बेमिसाल बिटिया की सच्ची कहानी बताने आई हूँ /आप पदिये और अपनी राय जरुर दीजिये की आज भी जब हमारे देश में कन्याओं को गर्भ में ही मारने की घटनाओं में दिन पर दिन बढोतरी हो रही है और लड़कियों को बोझ समझा जाता है /वहां ऐसी बेटी ने एक मिसाल कायम की है /
ये प्यारी सी बेटी दिशा वर्मा हमारे बहुत ही करीबी और अजीज पारिवारिक दोस्त श्री मनोज वर्मा और श्रीमती माधुरी वर्मा की है /इनकी दो बेटियाँ हैं /श्री मनोजजी की तबियत बहुत ख़राब थी ,उनका लीवर ७५% ख़राब हो गया था /उनको लीवर ट्रांसप्लांट की जरुरत थी .उनकी हालत इतनी ख़राब थी की वो कोमा में जा रहे थे /मेरी दोस्त माधुरी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो किससे बोले की कोई उसके पति को अपना लीवर दे दे /क्योंकि उसका ब्लूड ग्रुप तो लीवर देने के लिए मैच ही नहीं कर रहा था / ऐसी हालत में मैं उनकी बहन श्रीमती नीलू श्रीवास्तव जी को भी नमन करना चाहूंगी जो अपने भाई की खातिर आगे आईं और उसका जीवन बचाने के लिए अपना जीवन जोखिम में डालकर लीवर देने के लिए तैयार हो गईं /फिर उनके सारे मेडिकल टेस्ट हुए परन्तु दुर्भाग्यबस वह मैच नहीं हो पाए जिस कारण वो अपना लीवर नहीं दे पायीं /फिर सवाल उठ पडा की अब क्या होगा सारा परिवार चिंता में डूब गया की अब श्री मनोज जी का क्या होगा/ ऐसे समय में जब सारा परिवार दुःख के अन्धकार में डूबा था ये बेटी दिशा जिसको अभी १८ वेर्ष की होने में भी कुछ समय था एक उजली किरण के रूप में आगे आई उसने कहा की मैं दूँगी अपने पापा को लीवर /उसने अकेले
ही जा कर डॉ. से बात चीत की /डॉ. उसके जज्बात और हिम्मत देखकर हैरान रह गए फिर उन्होंने उसे समझाया भी की बहुत बड़ा operation होगा जो १६ घंटे चलेगा और operation के बाद जो काफी risky भी है और तुम्हारे पेट को काटने से उस पर एक हमेशा के लिए बड़ा सा निशान भी बन जाएगा /उसे तरह तरह से समझाया की उस की जान भी जोखिम में पड़ सकती है परन्तु वो बहादुर बेटी बिलकुल नहीं घबराई ना डरी और अपने पापा के लिए उसने ना अपनी जान की और ना इतने बड़े operation की परवाह की और वो अपने
ही जा कर डॉ. से बात चीत की /डॉ. उसके जज्बात और हिम्मत देखकर हैरान रह गए फिर उन्होंने उसे समझाया भी की बहुत बड़ा operation होगा जो १६ घंटे चलेगा और operation के बाद जो काफी risky भी है और तुम्हारे पेट को काटने से उस पर एक हमेशा के लिए बड़ा सा निशान भी बन जाएगा /उसे तरह तरह से समझाया की उस की जान भी जोखिम में पड़ सकती है परन्तु वो बहादुर बेटी बिलकुल नहीं घबराई ना डरी और अपने पापा के लिए उसने ना अपनी जान की और ना इतने बड़े operation की परवाह की और वो अपने
निर्णय पर अडिग रही /फिर उसने इंटर-नेट और अपने चाचा जो एक डॉ.हैं से लीवर ट्रांसप्लांट के बारे में सब कुछ समझ लिया और अपने को इस operation के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह तैय्यार कर लिया और बड़ी हिम्मत से इतने बड़े operation का सामना किया /भगवान् भी उस बेटी की त्याग की भावना और हिम्मत के सामने हार गए और operation सफल हुआ और उसके पिता को दूसरा जीवन मिला /भगवान् ऐसी बेटी हर घर में दे जिसने अपने पिता के लिए इतना बड़ा त्याग किया जो शायद दस बेटे मिलकर भी नहीं कर सकते थे /और वो हमारे देश की सबसे कम उम्र की लीवर डोनर भी बन गई / यह हम सबके जीवन की अविस्मरनीय घटना है जिसको याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं /आज वो बेटी इंजिनियर बन गई है और Infosys जैसी multi-national कंपनी में काम कर रही है /उसके पापा बिलकुल ठीक हैं और एक सामान्य जीवन जी रहे हैं /
ऐसी प्यारी बेटी को में नमन करती हूँ और आप सभी का भी उसकी आने वाली जिंदगी के लिए आशीर्वाद चाहती हूँ /और यह कहना चाहती हूँ की बेटे की चाह में बेटी को गर्भ में मत मारो क्योंकि दिशा जैसी बेटियां अपने माता पिता के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करतीं /उनमे से कौन सी बेटी दिशा बन जाए क्या पता /उसके बाद उसे अपने पापा की हालत से प्रेरणा मिली और दूसरों की परिस्थिति समझने का जज्बा मिला जिसके कारण उसने eye donation कैंप में जा कर अपनी आंखें दान करने का फार्म भरा /दिशा को तथा उसके माता पिता को भगवान् हमेशा खुश ,स्वस्थ एवं सुखी रखे बस यही कामना है /
ऐसी करोड़ों में एक अनोखी बेटी को ,मेरा शत शत नमन आशीर्वाद /
ऐसी करोड़ों में एक अनोखी बेटी को ,मेरा शत शत नमन आशीर्वाद /
दिशा अपने मम्मी पापा (श्री मनोज वर्मा)और बहन के साथ
operation के एक साल बाद
happy family
शनिवार, 12 नवंबर 2011
अंधविश्वास
अंधविश्वास
हमारे देश में अंधविश्वास के कारण कितनी ही जाने चली जाती हैं /इन पंडित पुजारी के द्वारा धर्म के नाम पर पाप पुण्य का डर दिखा कर हमारे देश की गरीब जनता को कितना लूटते है /और ये सिर्फ अच्छी अच्छी बातें बोलकर अपनी तिजोरी भरते हैं ./अभी हरिद्वार में गायत्री परिवार के यज्ञ समारोह में कितने ही लोग धुऐं की घुटन के कारण हुई भगदड़ में अपनी
जान से हाथ धो बैठे और कितने ही घायल हो गए /ऐसे ही हमेशा कुम्भ या अर्धकुम्भ के समय कुछ ना कुछ हादसे ज्यादा भीड़ के कारण हो जाते हैं और कितने ही लोगों की जान चली जाती है /जिसमे बच्चों और औरतों की संख्या ज्यादा होती है /अब इसमे किसको कितना पुण्य मिल रहा है और कितना पाप यह तो ऊपरवाला ही जाने /परन्तु उसके बाद भी हमारे धर्म के ठेकेदार यह जरुर कहते हैं की आप ने भगवान् की भक्ति में कोई कमी की होगी इसीलिए आपके साथ ये हादसा हुआ है /अगर आप इतना दान -पुण्य और करेंगे तो आपका अगला जनम बहुत अच्छा गुजरेगा /इस जनम का
तो पता नहीं अगले जनम की बात करते हैं या मोक्ष मिल जाने का आशा बांधते हैं / और पैसे लूट कर अपना ये जनम सुधारते है /और हमारी
जान से हाथ धो बैठे और कितने ही घायल हो गए /ऐसे ही हमेशा कुम्भ या अर्धकुम्भ के समय कुछ ना कुछ हादसे ज्यादा भीड़ के कारण हो जाते हैं और कितने ही लोगों की जान चली जाती है /जिसमे बच्चों और औरतों की संख्या ज्यादा होती है /अब इसमे किसको कितना पुण्य मिल रहा है और कितना पाप यह तो ऊपरवाला ही जाने /परन्तु उसके बाद भी हमारे धर्म के ठेकेदार यह जरुर कहते हैं की आप ने भगवान् की भक्ति में कोई कमी की होगी इसीलिए आपके साथ ये हादसा हुआ है /अगर आप इतना दान -पुण्य और करेंगे तो आपका अगला जनम बहुत अच्छा गुजरेगा /इस जनम का
तो पता नहीं अगले जनम की बात करते हैं या मोक्ष मिल जाने का आशा बांधते हैं / और पैसे लूट कर अपना ये जनम सुधारते है /और हमारी
अनपढ़ गरीब जनता अपनी मेहनत की कमाई मोक्ष प्राप्त होने की आशा और अपना दूसरा जनम सुधारने की आशा में इन धर्म के ठेकेदारों के चरणों में अर्पित कर देती है / और कई बार अपनी जान से भी हाथ धो बैठती है /
पता नहीं इन धर्म के ठेकेदारों द्वारा फैलाये अन्धविस्वासों के कारण कई तरह की भ्रांतियां हमारे देश के अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग ढंग से फैली हुई हैं /कहीं छोटे -छोटे बच्चों को आधा जमीन के अंदर गाडा जाता है
कहीं ऊपर से फेंका जाता है ,कहीं बलि तक चदा दिया जाता है / और इसके खिलाफ कोई आवाज उठाने की कोशिश करे तो ये धर्म के ठेकेदार अपने स्वार्थ के कारण उसकी आवाज को साम.दाम.दंड के द्वारा दबा देते हैं /
अनपढ़ ही नहीं बल्कि पदे लिखे लोग भी साधू -संतों और गुरुओं के शिष्य बनकर उनके हाथों की कठपुतलियाँ बन जाते हैं और अपने अन्ध्विस्वास के कारण लाखों रुपया इन पर लूटाते हैं /और वो लोग बिना मेहनत किये इन्हीं पैसों से एसो आराम की जिंदगी ब्यतीत करते हैं / कब तक हमारे देश में लोग इन अन्ध्विस्वासों के कारण अपने लोगों की जान जोखिम में डालते रहेंगे /आज जब हमारे वैज्ञानिक चाँद पर और अंतरिक्ष में नई दुनिया बसा रहे हैं हम इन ढोंगी साधुओं की बातों में आ रहे हैं और उनको भगवान् बना रहे हैं /
जागो और देश के अनपढ़ ओर गरीब लोगों को भी जगाओ
और अपने देश में फैले इन को अन्धविस्वासों को मिटाओ
महा कुम्भ मेला
कहीं ऊपर से फेंका जाता है ,कहीं बलि तक चदा दिया जाता है / और इसके खिलाफ कोई आवाज उठाने की कोशिश करे तो ये धर्म के ठेकेदार अपने स्वार्थ के कारण उसकी आवाज को साम.दाम.दंड के द्वारा दबा देते हैं /
अनपढ़ ही नहीं बल्कि पदे लिखे लोग भी साधू -संतों और गुरुओं के शिष्य बनकर उनके हाथों की कठपुतलियाँ बन जाते हैं और अपने अन्ध्विस्वास के कारण लाखों रुपया इन पर लूटाते हैं /और वो लोग बिना मेहनत किये इन्हीं पैसों से एसो आराम की जिंदगी ब्यतीत करते हैं / कब तक हमारे देश में लोग इन अन्ध्विस्वासों के कारण अपने लोगों की जान जोखिम में डालते रहेंगे /आज जब हमारे वैज्ञानिक चाँद पर और अंतरिक्ष में नई दुनिया बसा रहे हैं हम इन ढोंगी साधुओं की बातों में आ रहे हैं और उनको भगवान् बना रहे हैं /
जागो और देश के अनपढ़ ओर गरीब लोगों को भी जगाओ
और अपने देश में फैले इन को अन्धविस्वासों को मिटाओ
महा कुम्भ मेला
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