आया सावन झूम के
जब ठंडी हवाओं के झोंके चलने लगे
मिटटी की सोंधी सोंधी खुसबू महकने लगे
पेड़ पोधे जब ख़ुशी से झूमने लगे
चारों तरफ हरियाली छाने लगे
रिमझिम फुआरें तन मन को भिगाने लगे
प्रियतम की जब मीठी मीठी याद सताने लगे
तो समझो आया सावन झूमके
दिल प्यारे प्यारे गीत गुनगुनाने लगे
चूड़ी ,बिंदिया,कंगना सजने लगे
पेड़ों पर झूले पडकर पेंग चढ़ने लगे
मौसम में चारों तरफ मदहोशी छाने लगे
तो समझो आया सावन झूम के
पपीहा पीहू पीहू कर बुलाने लगे
कोयल कूहू कूहू कर गीत गाने लगे
रिमझिम के गीत सावन गुनगुनाने लगे
तन मन मयूर बन आँगन में नाचने लगे
रेशमी हवाओं के झोंके दिलों को गुदगुदाने लगे
धानी चुनरियाँ हवाओं में लहराने लगे
धानी चुनरियाँ हवाओं में लहराने लगे
तो समझो आया सावन झूमके
10 टिप्पणियां:
मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (24-07-2014) को "अपना ख्याल रखना.." {चर्चामंच - 1684} पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Thanks sushmaji.
रिमझिम सावन में उठते मन के भावों को सुन्दर शब्द रूप दिया आपने 'बधाई |
कर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !
बहुत सुन्दर सावनी फुहार
बेहतरीन प्रस्तुति
Aap sabhi ka bahut bahut dhanyawaad.
ki aap sabko hamari prastuti pasand aai.
ब्लॉग बुलेटिन की आज शुक्रवार २५ जुलाई २०१४ की बुलेटिन -- कुछ याद उन्हें भी कर लें– ब्लॉग बुलेटिन -- में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार!
मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई।
टिप्पणी पोस्ट करें