मंगलवार, 14 अगस्त 2012

स्वतन्त्रता दिवस

 

स्वतन्त्रता दिवस 


65वर्ष पूरे हुए हमें स्वतंत्रता दिवस मनाते हुए 
हम  खुश हैं की हम स्वतंत्र हुए 
हम स्वतंत्र हुए महंगाई .चोरबाजारी 
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी बढ़ाने को 
हम स्वतंत्र हुए देश का  काला धन 
देश से बाहर जमा करवाने को 
हम स्वतंत्र हुए अपने  ही देश के किसानो को 
आत्महत्या करवाने को 
हम स्वतंत्र हुए अपने ही देश की  औरतों को  सरेआम
 बेइज्जत करके अपनी मर्दानगी दिखाने को 
हम स्वतंत्र हुए राजनीति के नाम पर अपने ही 
देश की इज्ज़त उछालने को 
हम स्वतंत्र हुए अपने देश की सता          
  गुण्डे ,मवालिओं ,लूटेरों को सोंपने को 
हम स्वतंत्र हुए देश के शहीदों द्वारा दी गई 
अपने प्राणों की कूर्बानी  ब्यर्थ करने को  
फिर भी हम खुश हैं कि हम स्वतंत्र  हुए 
हम स्वतंत्र हैं ,हम स्वतंत्र हैं 
यह कहकर अपने दिल को समझा  रहे हैं  
हर स्वतंत्रता  दिवस पर खुशियाँ मना रहे हें  
अपनी ही  बर्बादी का  जश्न मना कर 
दुनिया को दिखा रहे हैं 
अपने दर्दों गम की श्याही को अपनी खुशियों 
में  छूपा रहे हैं 
काश हम अंग्रेजों की गुलामी से  स्वतंत्र ही ना होते  
 तो अपनो के द्वारा अपने ही देश मे परतंत्र ना होते 
 वाह भारतवासी तेरी  सहनशक्ति का जबाब  नहीं 
जबकि तेरी  जान की कीमत इस देश में कुछ भी नहीं 
हे !भारतवासी तुझे सलाम  है । 
हे !भारतमाता तुझे सलाम है 
    . 

6 टिप्‍पणियां:

डॉ टी एस दराल ने कहा…

हालात अच्छे तो नहीं लेकिन हमें अपने शहीदों पर तो नाज़ है .
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें .

यशवन्त माथुर (Yashwant Raj Bali Mathur) ने कहा…

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


सादर

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

यथार्थ कहती रचना
पर हमारे जवानों ने हमें आजादी दी है
उनको नमन..और इस आजादी को नमन..
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

devendra gautam ने कहा…

आपका आक्रोश स्वाभाविक है. हालात तो कुछ ऐसे ही हैं. लेकिन इस पटरी से उतरी हुई गाडी को पटरी पर लाने के लिए चौतरफा प्रयास की जरूरत है. सत्ता सही लोगों के हाथ में आये इसकी कोशिश करनी है. ब्रिटिश साम्राज्यवाद के चंगुल से निकलना जरूरी था. ताड़ से गिरकर खजूर पर अटकने का मलाल जरूर है लेकिन खजूर ताड़ ज़मीन से बहुत ज्यादा ऊंचाई पर तो नहीं.की उतर न सकें.