मंगलवार, 22 जुलाई 2014

आया सावन झूम के

आया सावन झूम के 


जब ठंडी हवाओं के झोंके चलने लगे 
मिटटी की सोंधी सोंधी खुसबू महकने लगे 
पेड़ पोधे जब ख़ुशी से झूमने लगे 
चारों तरफ हरियाली छाने लगे 
   रिमझिम फुआरें तन मन को भिगाने लगे 
प्रियतम की जब मीठी मीठी याद सताने लगे 

तो समझो आया सावन झूमके 

जब मीठे मीठे अरमान जगाने लगे 
दिल प्यारे प्यारे गीत गुनगुनाने लगे 
चूड़ी ,बिंदिया,कंगना सजने लगे 
पेड़ों पर झूले पडकर पेंग चढ़ने लगे
मौसम में चारों तरफ मदहोशी छाने लगे 
                 पानी की नन्ही नन्ही बूंदे पत्तों पर झिलमिलाने लगे 

तो समझो आया सावन झूम के 

पपीहा पीहू पीहू कर बुलाने लगे 
कोयल कूहू कूहू कर गीत गाने लगे 
रिमझिम के गीत सावन गुनगुनाने लगे 
तन मन मयूर बन आँगन में नाचने लगे 
रेशमी हवाओं के झोंके दिलों को गुदगुदाने लगे 
 धानी चुनरियाँ हवाओं में लहराने लगे 

तो समझो आया सावन झूमके 



  



9 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...

prerna argal ने कहा…

Thanks sushmaji.

prerna argal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

रिमझिम सावन में उठते मन के भावों को सुन्दर शब्द रूप दिया आपने 'बधाई |
कर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर सावनी फुहार

सदा ने कहा…

बेहतरीन प्रस्‍तुति

prerna argal ने कहा…

Aap sabhi ka bahut bahut dhanyawaad.
ki aap sabko hamari prastuti pasand aai.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज शुक्रवार २५ जुलाई २०१४ की बुलेटिन -- कुछ याद उन्हें भी कर लें– ब्लॉग बुलेटिन -- में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार!

संजय भास्‍कर ने कहा…

मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई।