इन्तहा इंतज़ार की
दो आँखों की बेकरारी कर रही है किसी का इंतज़ार
ये बिखरा हुआ सन्नाटा उसको कर रहा है बेकरार
उसके कदमो की आहट सुनने को है बेताब
वो है उसका नूरे नजर ,गुले-गुलजार, आफताब
जाने कब हो गया अचानक वो ओझल
इन्तजार का एक एक पल अब लगता है बोझल
आँगन में लगे पेड़ पर पतझड़ के बाद आई बहार
उसकेजीवन में ना आया पतझड़ ,सावन ,वसन्त. बहार
वो आएगा एक दिन जरूर यही है उसका विश्वास
इन्तजार में जी रही, उसके जीवन की यही है सबसे बड़ी आस
जीवन के प्रत्तेक लम्हे में है सिर्फ उसी का इन्तजार
सब कुछ भूल गई है, जोगन की तरह बस याद है उसका प्यार
याद मेंउसकी तड़प तड़प के होती जा रही है वो बाबरी
रो रो के बेहाल हो गई उसकी दो आँखे कजरारी
जान से भी ज्यादा जिसको प्यार करती है वो बेइन्तहा
अब तो उसके इन्तजार की हो गई है इन्तहा
उसकी आशा का दीपक भी अब टिमटिमा रहा है
पर ये सन्नाटा और क्यों गहराता जा रहा है
ये सन्नाटा और क्यों गहराता जा रहा है?
जाने कब हो गया अचानक वो ओझल
इन्तजार का एक एक पल अब लगता है बोझल
आँगन में लगे पेड़ पर पतझड़ के बाद आई बहार
उसकेजीवन में ना आया पतझड़ ,सावन ,वसन्त. बहार
वो आएगा एक दिन जरूर यही है उसका विश्वास
इन्तजार में जी रही, उसके जीवन की यही है सबसे बड़ी आस
जीवन के प्रत्तेक लम्हे में है सिर्फ उसी का इन्तजार
सब कुछ भूल गई है, जोगन की तरह बस याद है उसका प्यार
याद मेंउसकी तड़प तड़प के होती जा रही है वो बाबरी
रो रो के बेहाल हो गई उसकी दो आँखे कजरारी
जान से भी ज्यादा जिसको प्यार करती है वो बेइन्तहा
अब तो उसके इन्तजार की हो गई है इन्तहा
उसकी आशा का दीपक भी अब टिमटिमा रहा है
पर ये सन्नाटा और क्यों गहराता जा रहा है
ये सन्नाटा और क्यों गहराता जा रहा है?
6 टिप्पणियां:
बेहद मार्मिक रचना..
bahut bahut dhnyawaad aap dono ka ki aapko meri prastuti pasand aai aur uko charcha manch me bhi shamil kiya.aabhaar
कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
कैसी हैं आप ? काफी समय बाद आपको पढ़ा, सकुशल रहें - यही कामना है
बहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति के लिए बधाई प्रेरणा ...!!लेखनी चलती रहे ...!!शुभकामनायें ...!!
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