श्री गणपतिजी सदा सहाय करें
सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर्स साथियों को गणेशोत्सव की बहुत बहुत
शुभकामनाएं
सन्नाटा
सबसे पहले मेरे सारे ब्लोगर्स साथियों को गणेशोत्सव की बहुत बहुत
शुभकामनाएं
सन्नाटा
मैं इस कोठी में बरसों से खडा हूँ ,जिंदगी के उतार चदाव को देखता हुआ
इंसान को इंसान से लड़ते हुए,एक दूसरे की जान लेते हुए
और सोचता हूँ,ये किस तरह के जीव हैं ,लालची ,स्वार्थी
जो अपने स्वार्थ और लालची प्रवृति के कारण कुछ भी कर सकते हैं
मैं एक बरगद का पेड , जवान से बूढा हो गया यही सोचता हुआ
दिल दुःख से भर जाता है ,उस प्यारी सी लड़की की कहानी याद करके
वो प्यारी सी गुडिया मेरे देखते देखते अति सुंदर नवयोवना बन गई
जब वो इस बगीचे में अदा से अपने आधे चेहरे को शर्मा कर छुपाती
अपने प्रियतम की याद में लाल रुखसार लिए, तो ईद का चाँद सी नजर आती
उसी की तरह सुंदर,सजीला,बांका ,प्यारा सा प्रियतम था उसका
तन की तरह मन भी बहुत सुंदर था जिसका
दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे,उनके ब्याह को अभी छै महीने ही हुए थे
आज वो उसको घर ले जाने आनेवाला था,उसके सपनों को पंख लगानेवाला था
इसीलिए आज वो खिलखिला रही थी ,इठला रही थी,शर्मा रही थी
बगीचे के झूले में झूलते हुए मीठे मीठे प्यारे से गीत गुनगुना रही थी
इतने में उसके मोबाईल की घंटी घनघनाई ,उसने ख़ुशी ख़ुशी उसेअपने कान से लगाईं
उसके बाद उसकी एक चीख दी सुनाई ,और वो नीचे गिरी और बेसुध नजर आई
वहां एक सन्नाटा सा बिखर गया था,जिसे सिर्फ खाली झूले की झूलनेकी आवाज भंग कर रहा था
उसका हर सपना बिखर गया था, उसका खुशियों से भरा संसार उजड़ गया था
उसका प्रियतम कुछ स्वार्थी और दुष्कर्मी लोगों के दुष्कर्म के कारण
इस बुराईयों से भरी दुनिया से कूच कर गया था
उसने गुंडों से लड़कर एक अबला की इज्जत तो बचाई थी
पर उसकी कीमत अपने प्राणों की बलि देकर चुकाई थी
इंसान सिर्फ इंसान को ही नहीं मारता उससे जुड़े हर रिश्ते को मारता है
उन रिश्तों के सपने ,आशाएं, जरुरत को मारता है
और उनकी जिंदगी में छोड़ देता है कभी ना मिटने वाला सन्नाटा
सन्नाटा सन्नाटा सन्नाटा
28 टिप्पणियां:
बहुत-बहुत बधाई ||
बढ़िया प्रस्तुति ||
ओह ..अत्यंत ह्रदय विदारक...रचना....
सच में एक इंसान से बहुत सरे रिश्ते जुड़े हुए हैं ...!
Lajawab rachna...aankhen nam kar gayi...
dard bhari kahani baragad ke ghosale ki !
बहुत मार्मिक..
बहुत दर्दनाक दास्ताँ सुनाई ।
sannata ghar ker gaya...
पूरा घटना क्रम एक चलचित्र की तरह आँखों के सामने उभर आया ....आपकी लेखन शैली प्रभावी है ...आपका आभार
जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक
वाकई में इस पोस्ट को पढ़कर सन्न रह गया।
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भाईचारे के मुकद्दस त्यौहार पर सभी देशवासियों को ईद की दिली मुबारकवाद।
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कल गणेशचतुर्थी होगी, इसलिए गणेशचतुर्थी की भी शुभकामनाएँ!
स्तब्ध हूँ ..
कविता ने एक मार्मिक कथा का रूप ले लिया है. सुंदर भावाभिव्यक्ति.
सुन्दर प्रस्तुति...ईद मुबारक़
आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद /की आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और मेरी रचना को पसंद करके मेरा उत्साह बढाने के लिए इतने अच्छे सन्देश दिए /आप सबका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को इसी तरह मिलता रहे यही कामना है /आभार/
प्रभावी अभिव्यक्ति। इस पावन पर्व की शुभकामनाएं।
निःशब्द करने वाला अंत.
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा शनिवार ३-०९-११ को नयी-पुरानी हलचल पर है ...कृपया आयें और अपने विचार दें......
सुंदर भावाभिव्यक्ति....
बहुत-बहुत बधाई आपको....
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार प्रस्तुति!
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
सही कह रही हैं प्रेरणा जी.जब कोई किसी को मार देता है तो वह किसी एक व्यक्ति को नहीं ,उससे जुड़े कई लोगो को मार देता है.शरीर रह जाता है,मगर बेजान होकर.लेकिन इस समाज का क्या करें जहाँ इन चीजों को बढ़ावा मिलता है.लोक तो है पर तन्त्रविहीन.
जो उनपर गुजरती है उसे वही जानते हैं .बहुत मार्मिक हैं पक्तियां,बहुत दुखद है उससे बहाए आती घटना.दिल भर आया पढ़कर.ईश्वर करे ऐसा किसी के साथ न हो.
visit my blog
www.ankahealfaz.in
बहुत बहुत धन्यवाद आप सबका की आपने मेरी रचना को पसंद किया और इतने अच्छे उत्साह बढ़ानेवाले सन्देश दिए /आप सबका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को हमेशा ऐसे ही मिलता रहेगा ,यही कामना है /आभार /
बहुत मार्मिक चित्रण.. स्तब्ध रह गया मैं...
bahut badhiya
bahut badiya
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
बहुत ही अच्छी रचना . आपने जीवन के सारे रिश्तों को इसमें गृहीत कर लिया ..
बधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
आँखें नम कर जाती है ऐसी घटनाएं ... क्यों किसी को बचाने वाले को यह सब भोगना पढता है ...
बहुत मार्मिक प्रस्तुति..
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