भूकंप
कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं
यहाँ इंसान की जिंदगी की कीमत कुछ नहीं |
आम इंसान बम विस्फोट से,दुर्घटना से, नहीं तो भूकंप के झटकों से मर जाता है
चार दिन हल्ला मचता है .और फिर सब शांत हो जाता है |
ना कोई बाद में उसके बारे में सोचता है,ना रोकने का उपाय करता है
जिसके घर का कोई प्रभावित होता है वो ही परिवार रोता रह जाता है |
परन्तु ऐसी दुर्घटनाएं रोकने के लिए कोई उपाय नहीं करतें है |
आम आदमी मरे तो मरे, कुछ रुपये देने की घोषणा कर देते हैं
और अपने कर्त्तव्य से इतिश्री कर लेते हैं |
अगर जापान जैसी तीव्रता लिए कोई भूकंप आ गया
तो हमारा देश की आधे से ज्यादा छेत्रों को प्रभाबित कर जाएगा |
और पता नहीं कितनी जनसंख्या और सम्पति को नष्ट कर जाएगा
जान माल की हानि के साथ राष्ट्रीय सम्पति का भी नाश होगा |
परन्तु इसके बारे मैं कोई नहीं सोच रहा ,ना ही भूकंप निरोधी इमारतें बना रहा
सडकों के हाल ,ट्रेफिक का हाल ,रेलों के हाल बद से बदतर हो रहा |
इसी कारण दुर्घटनाओं से कितने ही जान माल का नुक्सान हो रहा
आम आदमी इन सब त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा या मर रहा|
इनके सुधार पर हर साल करोडो रुपया सरकार दे रही
.परन्तु ये आधे से ज्यादा सुधार की जगह लोगों की जेबें भर रही |
भ्रष्टाचार ने इस देश का सत्यानाश कर दिया
वोट की राजनीति ने नेताओं कोअपनी अपनी पार्टियों तक सीमित कर दिया |
इस देश की है बस यही है विडम्बना ,की यहाँ है "प्रजातंत्र"
इसलिए अब नहीं इस देश में बचा है कोई "तंत्र"|
देश की नहीं हर नेता को बस अपनी कुर्सी की पड़ी है
जनता बेवकूफ बनी देश का नाश इन नेताओं द्वारा होते देखती खड़ी है |
एक हो गयें हैं चोर -सिपाही, देश की हो रही तबाही |
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए
देश में भीतर तक फैली इसकी जड़ों को पूरी तरह हिला जाए |
मिट जाए इसका नामो -निशान,देश हमारा बन जाए महान |
फिर तो चारों तरफ होगा खुशियों का साम्राज्य
लोट आयेगा रामराज्य |
सडकों के हाल ,ट्रेफिक का हाल ,रेलों के हाल बद से बदतर हो रहा |
इसी कारण दुर्घटनाओं से कितने ही जान माल का नुक्सान हो रहा
आम आदमी इन सब त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा या मर रहा|
इनके सुधार पर हर साल करोडो रुपया सरकार दे रही
.परन्तु ये आधे से ज्यादा सुधार की जगह लोगों की जेबें भर रही |
भ्रष्टाचार ने इस देश का सत्यानाश कर दिया
वोट की राजनीति ने नेताओं कोअपनी अपनी पार्टियों तक सीमित कर दिया |
इस देश की है बस यही है विडम्बना ,की यहाँ है "प्रजातंत्र"
इसलिए अब नहीं इस देश में बचा है कोई "तंत्र"|
देश की नहीं हर नेता को बस अपनी कुर्सी की पड़ी है
जनता बेवकूफ बनी देश का नाश इन नेताओं द्वारा होते देखती खड़ी है |
एक हो गयें हैं चोर -सिपाही, देश की हो रही तबाही |
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए
देश में भीतर तक फैली इसकी जड़ों को पूरी तरह हिला जाए |
मिट जाए इसका नामो -निशान,देश हमारा बन जाए महान |
फिर तो चारों तरफ होगा खुशियों का साम्राज्य
लोट आयेगा रामराज्य |
23 टिप्पणियां:
ये दुर्भाग्य है देश का ... ये नेता लोग जनता को पागल बना रहे अहिं और हम बन रहे हैं ...
हे प्रभु !! यदि भूकंप ने देश से पूरा भ्रष्टाचार मिटा दिया तो हमारे पाँव के नीचे सड़क कौन सी रह जाएगी.
अच्छा है मन में दबी, निकले शीघ्र भड़ास |
चोर - उचक्कों से नहीं, रखना कोई आस ||
देश की वर्तमान दशा का बहुत सही और सटीक चित्रण किया है...इस व्यवस्था में सुधार के लिये एक सामाजिक भूकंप की आवश्यकता है..
भूकंप बहुत ही सही लिखा है आपने
भूकंप का काम है झटके देना.
इंसान को तो कदम कदम पे झटके मिलते रहते हैं
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मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है
ड्रैकुला को खून चाहिए, कृपया डोनेट करिये !! - पार्ट 1
man me uthi yah jvala ghar ghar me dahani chahiye
ab to is desh ki soorat badalni chahiye.
man ko jhakjhor kar dene vaali prastuti.god bless you.
कुदरत के करिश्में को कोई नहीं जान सका!
यहाँ तो सब भगवान भरोसे है ।
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए
देश में भीतर तक फैली इसकी जड़ों को पूरी तरह हिला जाए |
मिट जाए इसका नामो -निशान,देश हमारा बन जाए महान |
फिर तो चारों तरफ होगा खुशियों का साम्राज्य
लोट आयेगा रामराज्य |
प्रेरणा जी, आपकी प्रस्तुति यथार्थ का भयावय चित्रण करती हुई भी प्रेरणा दे रही है भ्रष्टाचार
रुपी इमारत को 'सदाचरण' के भूकंप से गिराने की.रामराज्य को लौटा लाने की.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
आपका आना सुखद होता है.
आम इंसान बम विस्फोट से,दुर्घटना से, नहीं तो भूकंप के झटकों से मर जाता है
....देश की वर्तमान दशा का बहुत सही लिखा है
bahut badhiyaa saarthak lekh
sunder bhav ...par itna asaan kuchh nahin hai ...ham samasyaon se ghire hue hain ....
सही कह रही हैं आप
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए ।
बेहतरीन पोस्ट।
यथार्थ का सुन्दर वैचारिक प्रस्तुतिकरण...
bhole bhale logo ko bas bahlaya jata hai yaha
chahe kuch ho jaye
काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए
देश में भीतर तक फैली इसकी जड़ों को पूरी तरह हिला जाए |
मिट जाए इसका नामो -निशान,देश हमारा बन जाए महान .....kaash aisa hi ho Prerna ji .
बड़ी ही सार्थक सोच .भूकम्प ने मन को भी हिलाकर रख दिया. उजड़ती इमारतों के साथ ही उजड़ती हुई व्यवस्था , बिगड़ती हुई सड़कों के साथ बिगड़ती हुई चाल पर भी सटीक विचार प्रस्तुत किये गये हैं.
कभी कभी यह सब देखकर मन क्षुब्ध सा हो जाता है। पर किया क्या जाए, हमें इन्हीं सबके बीच जीना है, ऐसे ही डर डर के जीना है।
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आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
" काश कोई ऐसा भूकंप आये जो इस भ्रष्टाचार रुपी इमारत को ही गिरा जाए "- bahut hi gahari baaten. sonchata hun - ramarajy kab aayega ? badhayi !
आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
जय माता दी..
bahut hi sundar hamara saubhagya hai ki ap ke blog se judne ka mauka mila.
www.kavipradeeptiwari.blogspot.com
प्रेरणा जी बिलकुल सही कहा है आपने
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
MITRA-MADHUR
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