लम्हा-लम्हा ज़िन्दगी निकलती जाती है
हर पल हर लम्हा खट्टी-मीठी यादें दे जाती है
ज़िन्दगी से रूबरू हो कर रहो
हर पल हर लम्हे को जी भर कर जियो
जीवन मैं कुछ ऐसे काम करो
दुनिया याद रखे जब तुम ना रहो
सुख मे दुःख और दुःख में सुख को ना भूलो
ज़िन्दगी की इस धूपछांव के साथ अठखेलियाँ खेलो
कल की चिंता में आज को ना भूलो
अपनी तमन्नाओ इच्छाओं को पूर्ण कर लो
आज है तभी तो कल आएगा
ज़िन्दगी के नए नए रंग दिखायेगा
यह ज़िन्दगी है बहुत खूबसूरत
पर कभी-कभी इसमें आ जाती है बदसूरती की झलक
बदसूरती को एक बुरे सपने की तरह भूल जाइए
खूबसूरत पल के हर लम्हे को दिल से लगाइए
जब तक ज़िन्दगी है,यह सब तो चलता रहेगा
परन्तु यह पल यह छण फिर दुबारा नहीं मिलेगा
जितना मिला है उतना ख़ुशी-ख़ुशी अपने
कर्म की नीयति मान कर अपनाइए
भगवान् की देन है यह ज़िन्दगी
वरदान समझकर जिए जाइए
3 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी है आपकी यह रचना | सुन्दर |
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
बढ़िया अभिव्यक्ति...
सादर..
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