रविवार, 19 दिसंबर 2010

AAJ KI NAARI



आज की नारी 

जिंदगी को जनम देती है नारी 
उसके अमूल्य योगदान से ही ये दुनिया चलती है सारी
घर बाहर दोनों काम बखूबी संभाल लेती है 
परिवार के दुःख-सुख को प्यार से सवांर देती है
घर की धुरी बन जाती है नारी
जिसके चारों और है परिवार की जिम्मेदारी
आज की नारी ने अपनी शक्ति को पहचाना है
इसलिये ये पुरुषों द्वारा बनाया समाज घबराया है
उसने पुरुष के कमाने के अहम् को नीचे गिराया है
अपनी मेहनत और बुद्धि से अपना मनोबल बढाया है
पुरुषों के कंधे से कन्धा मिला कर चल रही है
हर छेत्रमें उनसे आगे बढ़ रही है
आज की नारी ने अपना आत्मसम्मान जगाया है
इसलिये पुरुषों के अत्याचार के खिलाफ नारा लगाया है
दोहरी जिम्मेदारियां उठा रही है वोह
ग्रहस्थी के साथ-साथ पैसे भी कमा रहीं है वोह
पुरुष जब उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक पाया है
तब उसे अपनी ताकत का भय दिखाया है
पुरुष की ताकत के आगे कमजोर है वो
इसलिये उसके अत्त्याचार सहने को मजबूर है वो
भले ही आज सरकार ने कितने कानून बनाए
पर समाज के डर से कहाँ तक अमल हो पाए
चाहे दुनिया २१वी सदी में जा रही है
 
पर नारी का शोषंड आज भी जारी है
आपस में एकता बनाकर अपना
मान समाज में बढाना है
आपस में सहयोग और प्रेम बढाकर
हर नारी को शोषंड से बचाना है
क्योंकि हम नारी नहीं है अब 'अबला'
हम तो बन चुकी हैं 'सबला' 

1 टिप्पणी:

prerna argal ने कहा…

thanks bhabhiji.aapke itane achhe comments se mujhe kafi encouragement mila.isi tarah aapke guidence ki mujhe jarurat hai.thanks